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चतुरहः
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यमातिरात्रः
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अतिकृच्छः
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उत्तरकाशीनगरम्
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उट्टङ्कनम्
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संपर्कः
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आष्टमिक
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विपद् आपत्
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ऋणदेयकपत्रम्
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दिक्शूलम्
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अपया
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संविधानम्
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elapse
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almost
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after
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - सप्ततिमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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भारतीय
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हिरण्यवर्णाख्यायिका
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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बृहद्यात्रा - वाजिलक्षणेङ्गित
‘ गणित ज्योतिष' या विषयावरील वराहमिहीराने लिहीलेला हा ग्रंथ ज्योतिषप्रेमींसठी अत्यंत उपयोगी आहे
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पाक्षिक
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गुरूचरित्र - सप्ताहाचा अध्यायानुक्रम
श्रीगुरुचरित्र हा ग्रंथ महाराष्ट्रात वेदांइतकाच मान्यता पावलेला आहे. Shri GuruCharitra is the most influential book written in Marathi.
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lapse
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देवी कवच - तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम्
देवी कवच - तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम्
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दुर्गा सप्तशती - तांत्रिकं देवीसूक्तम्
दुर्गा सप्तशतीचा पाठ केल्याने जीवनातील सर्व पापे नष्ट होऊन मुक्ति मिळते.
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proceed
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course
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विष्णुधर्माः - अध्याय ९२
विष्णुधर्माः
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roll
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अथ कर्मारम्भप्रतिबन्धकनिमित्तनिर्णयः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा । वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥ अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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उत्तरस्थानम् - पञ्चमोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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विग्रहः - कथा ३
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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स्फुट श्लोक - श्लोक ५४ ते ५७
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अंशुमत्काश्यपागमः - कर्षणविधिपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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सुहृद्-भेदः - आरंभः
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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श्रीदुर्गासप्तशती - पञ्चमोऽध्याय:
श्रीदुर्गासप्तशती - पञ्चमोऽध्याय:
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नानामुहूर्त्तप्रकरणम् - श्लोक १३ ते ३७
अनुष्ठानप्रकाश , गौडियश्राद्धप्रकाश , जलाशयोत्सर्गप्रकाश , नित्यकर्मप्रयोगमाला , व्रतोद्यानप्रकाश , संस्कारप्रकाश हे सुद्धां ग्रंथ मुहूर्तासाठी अभासता येतात .
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जानकीहरणम् - द्वादशः सर्गः
'जानकीहरणम्' ह्या महाकाव्याच्या रचयिताचे नाव 'कुमारदास' होते,
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उत्तरस्थान - अध्याय ११
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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मार्कण्डेयपुराणम् - पञ्चाशीतितमोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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मनोविनायकव्रतम्
मनोविनायकव्रतम्
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process
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रघुवंश - तृतीय: सर्ग:
महाकवी कालिदासाने ’रघुवंश’ या महाकाव्यातील एकोणीस भागात राजा दिलीप, त्याचा पुत्र रघु, रघुचा पुत्र अज, अजचा पुत्र दशरथ, दशरथाचा पुत्र राम आणि त्याचे पुत्र लव आणि कुश यांचे चरित्र वर्णन केले आहे.
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गम्
Meanings: 22; in Dictionaries: 5
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time
Meanings: 64; in Dictionaries: 17
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १५४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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वेतालपञ्चविंशति - कथा २१
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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उत्तरस्थान - अध्याय ५
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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उत्तरभागः - अध्यायः २९
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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वेतालपञ्चविंशति - कथा ३
बेताल पचीसी पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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वेतालपञ्चविंशति - कथा १५
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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