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apostatize
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backslide
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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deflect
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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diverge
Meanings: 16; in Dictionaries: 9
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stumble
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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प्रच्यु
Meanings: 12; in Dictionaries: 3
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तृतीयस्थानम् - एकत्रिंशोऽध्यायः
हारीत संहिता, एक चिकित्साप्रधान आयुर्वेदिक ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचनाकार महर्षि हारीत होत, जे आत्रेय पुनर्वसु ऋषींचे शिष्य होते.
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forfeit
Meanings: 14; in Dictionaries: 6
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digress
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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degenerate
Meanings: 23; in Dictionaries: 10
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deprive
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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deviate
Meanings: 14; in Dictionaries: 10
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slide
Meanings: 36; in Dictionaries: 12
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प्रथमप्रश्ने - नवमोऽध्यायः
‘ गौतमीयधर्मशास्त्रेः ’ या ग्रंथात गौतमऋषींनी कथन केलेली धर्मसूत्रे आहेत.
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विष्णुधर्माः - अध्याय २६
विष्णुधर्माः
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err
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stray
Meanings: 16; in Dictionaries: 8
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उत्तर पर्व - अध्याय १८२
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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च्यु
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lapse
Meanings: 31; in Dictionaries: 10
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अच्युत
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सरस्वतीगीता
गीता म्हणजे प्राचीन ऋषी मुनींनी रचलेली विश्व कल्याणकारी मार्गदर्शक तत्त्वे. Gita has the essence of Hinduism, Hindu philosophy and a guide to peaceful life and ever lasting world peace.
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drop
Meanings: 36; in Dictionaries: 12
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तृतीयः स्कन्धः - अध्यायः २८
भागवत पुराणात पुढे येणार्या कलियुगात काय घडणार आहे, याबद्दलचे सविस्तर वर्णन केले आहे.
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तृतीयः स्कन्धः - अथ अष्टविंशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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decline
Meanings: 25; in Dictionaries: 7
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descend
Meanings: 27; in Dictionaries: 6
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slip
Meanings: 52; in Dictionaries: 15
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ३०
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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lose
Meanings: 27; in Dictionaries: 7
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उत्तर पर्व - अध्याय १०७
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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युद्धखण्डः - अध्यायः १३
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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श्री नारदीयमहापुराणम् - सप्तचत्वारिंशत्तमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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परमार्थसारः
श्रीमदभिनवगुप्तप्रणीतम् परमार्थसारम्
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go
Meanings: 39; in Dictionaries: 3
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fall
Meanings: 77; in Dictionaries: 10
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शतरुद्रसंहिता - अध्यायः २६
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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॥ अथ कर्णरोगाधिकार: ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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अध्याय ४७ वा - श्लोक ४६ ते ५०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १७१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ८७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २९०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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उत्तरभागः - अध्यायः २७
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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उत्तरखण्डम् - एकादशोऽध्यायः
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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श्री नारदीयमहापुराणम् - त्रयोदशोऽध्यायः
नारदपुराणात शिक्षण, कल्प, व्याकरण, छन्द शास्त्राचे आणि परमेश्वराच्या उपासनेचे विस्तृत वर्णन आहे.
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अनुगीता
गीता म्हणजे प्राचीन ऋषी मुनींनी रचलेली विश्व कल्याणकारी मार्गदर्शक तत्त्वे.
Gita has the essence of Hinduism, Hindu philosophy and a guide to peaceful life and ever lasting world peace.
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उत्तरभागः - अध्यायः २
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः १९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ३९
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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उत्तरस्थान - अध्याय ३९
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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