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venom
Meanings: 6;
Dictionaries: 4;
Tags: কুভাব, দুর্ভাব, দুর্ভাৱনা, गाज्रि साननाय, गाज्रि सानथाय, गाज्रि भाब, দুর্ভাবনা, দুশ্চিন্তা, কুচিন্তা, উত্কন্ঠা, উদ্বেগ, ভাবনা, চিন্তা, আশঙ্কা, दुर्भावना, कुभाव, दुर्भाव, अभाव, असद्भाव, کھۄٹھ نیت, بد نیت, رِش, वायटपण, दुर्भावना, दुर्भावना, कुभाव, दुर्भाव, तुच्छ विचार, ଦୁର୍ଭାବନା, କୁଭାବନା, ଅସଦ୍ଦ୍ଭାବନା, ਦੁਰਭਾਵਨਾ, ਬੁਰੀ ਭਾਵਨਾ, ਕੁਭਾਵਨਾ, असद्भावः, कुभावः, दुर्भावः, చెడుభావన, చెడు ఆలోచన, చెడుతలంపు, بدنیتی, فاسد خیال, براخیال
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १६६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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योगनन्दाख्यायिका
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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प्रथम खण्डः - सप्तदशोऽध्यायः
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १०६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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poison
Meanings: 23;
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Tags: ઉગ્રવિષ, જલદ ઝેર, હળાહળ, કાતિલ ઝેર, उग्र विष, भारी ज़हर, भारी जहर, हलाहल, खर_वीख, तीक्ष्णविषः, تیز زہر, بھاری زہر, جان لیوا زہر बिस लोंहो, बिस दौ, बिस हो, जहर देना, विष देना, जहर खिलाना-पिलाना, زَہَر_دِیُن, वीख घालप, वीश दिवप, वीश घालप, वीख दिवप, ବିଷ ଦେବା, ଜହର ପିଆଇବା, ਜਹਿਰ ਦੇਣਾ, ਜਹਿਰ ਖਿਲਾਉਣਾ-ਪਿਲਾਉਣਾ, ਵਿਸ਼ ਦੇਣਾ, زہر دینا, زہر کھلانا
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आचारकाण्डः - अध्यायः १९०
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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शङ्कराख्यः षष्ठोऽम्शः - नवचत्वारिंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ६०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ८९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रसविद्या - भाग ४
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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कुमारखण्डः - अध्यायः २०
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १०८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अष्टमः स्कन्धः - अथ सप्तमोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४९८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - अष्टमोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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षष्ठः स्कन्धः - अथ चतुर्दशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः ११
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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प्रथमैकरात्रः - तृतीयोऽध्यायः
‘श्रीनारदपञ्चरात्रम‘ हा ग्रंथ वाचल्याने सामान्यज्ञानात भर पडते.
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ब्रह्मखण्डः - अध्यायः १३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - चतुर्दशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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रामस्तुतिः
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २३३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १७५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वितीयः भागः - प्रकरणम् ३
भावप्रकाशसंहिता
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श्रीमच्छङ्करदिग्विजय: - चतुर्दश: सर्ग:
श्रीविद्यारण्यविरचित: श्रीमच्छडरदिग्विजय: ॥
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राजनिघण्टु - पिप्पल्यादिवर्ग
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - द्विस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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