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मानसागरी - अध्याय ३ - द्वादशांशमाह
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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bunt
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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progressiveness
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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sloping
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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मानसागरी - अध्याय ३ - द्रेष्काणमाह
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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अनुनिर्देश
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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slope
Meanings: 20; in Dictionaries: 9
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अध्याय ३२९ - छन्दःसारः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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तृतीयः पटलः - अकडमचक्रम्
दीक्षायां सर्वचक्रानुष्ठानम्
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सप्तमोsध्यायः ।
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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corrode
Meanings: 13; in Dictionaries: 6
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चतुर्थः पटलः - रामचक्रम्
मन्त्रदोषादिनिर्णयः
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पञ्चमः पटलः - चक्रफलकथनम्
मन्त्रादिदोषादिनिर्णयः
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drain
Meanings: 28; in Dictionaries: 8
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श्रीरमणगीता - अथ षष्टोऽध्यायः ।
गीता म्हणजे प्राचीन ऋषी मुनींनी रचलेली विश्व कल्याणकारी मार्गदर्शक तत्त्वे. Gita has the essence of Hinduism, Hindu philosophy and a guide to peaceful life and ever lasting world peace.
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कात्यायनस्मृतिः - प्रतिज्ञास्वरूपम्
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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रोग हनन व्रत - उदरगुल्महरव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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अध्याय ९० - अभिषेकादिकथनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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रसहृदयतंत्र - अध्याय १५
प्रसिद्ध रसायनशास्त्री श्री गोविन्द भगवतपाद जो शंकराचार्य के गुरु थे, द्वारा रचित ‘रसहृदयतन्त्र' ग्रंथ काफी लोकप्रिय है।
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खण्डः ३ - अध्यायः १५२
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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progressive
Meanings: 26; in Dictionaries: 14
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climax
Meanings: 22; in Dictionaries: 8
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advance
Meanings: 52; in Dictionaries: 14
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विश्वामित्रसंहिता - विंशोऽध्याय:
विश्वामित्रसंहिता
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खण्डः २ - अध्यायः १३०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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पूर्वखण्डः - अध्याय ६
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
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कूर्मपुराणः - सप्तविंशोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः ५८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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रसविद्या - भाग ८
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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यन्त्रविधानं नामैकत्रिंशोऽध्यायः - २०१ ते २२३
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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सूत्रस्थानम् - चतुर्विंशतितमोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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प्रासादशुभाशुभलक्षणं नाम पञ्चाशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ७५
`बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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बृहद्यात्रा - सन्ध्या
‘ गणित ज्योतिष' या विषयावरील वराहमिहीराने लिहीलेला हा ग्रंथ ज्योतिषप्रेमींसठी अत्यंत उपयोगी आहे
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ग्रहलाघवः - ग्रहच्छायाधिकारः
ज्योतिषशास्त्राविना हिंदू धर्मियांचे कार्य एक क्षणसुद्धा चालू शकत नाही .
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ७९
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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खण्डः २ - अध्यायः ०६०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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प्रथमोध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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progress
Meanings: 43; in Dictionaries: 10
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विष्णुधर्माः - अध्याय १८
विष्णुधर्माः
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विंशोऽध्यायः - भाव
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
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रसहृदयतंत्र - अध्याय ८
प्रसिद्ध रसायनशास्त्री श्री गोविन्द भगवतपाद जो शंकराचार्य के गुरु थे, द्वारा रचित ‘रसहृदयतन्त्र' ग्रंथ काफी लोकप्रिय है।
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बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ६
` बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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इन्द्र ध्वजनिरूपणं नाम सप्तदशोऽध्यायः - १५१ ते २१२
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः २
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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सुप्रभेदागमः - वह्निस्थापनविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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अथ क्रियापादः - वह्निस्थापनविधिपटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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षड्विंशोऽध्यायः - नष्टजातक
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
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वायवीयसंहिता उत्तर भागः - अध्यायः १९
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ६३
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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