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क्रद
Meanings: 5; in Dictionaries: 1
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समाक्रन्द्
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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निक्रन्द्
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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mewl
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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deplore
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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weep
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
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shriek
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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sob
Meanings: 10; in Dictionaries: 4
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परिभ्रष्ट
Meanings: 18; in Dictionaries: 4
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dare
Meanings: 10; in Dictionaries: 4
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lament
Meanings: 12; in Dictionaries: 5
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moan
Meanings: 14; in Dictionaries: 4
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defy
Meanings: 13; in Dictionaries: 5
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challenge
Meanings: 15; in Dictionaries: 5
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आक्रन्द्
Meanings: 10; in Dictionaries: 3
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hail
Meanings: 24; in Dictionaries: 6
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mourn
Meanings: 14; in Dictionaries: 4
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क्रन्द्
Meanings: 16; in Dictionaries: 3
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श्रीज्वालामुखीस्तोत्रम् - श्रीगणेशाय नमः । श्रीभैरव...
सती पार्वतीची दहा रूपे - काली, तारा, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुर सुंदरी, मातंगी, षोड़शी आणि भैरवी.
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मण्डल १ - सूक्तं १००
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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cry
Meanings: 16; in Dictionaries: 4
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प्रेतकाण्डः - अध्यायः १६
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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वामनपुराण - अध्याय १० वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय १०
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ६४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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समय मातृका - षष्ठः समयः
क्षेमेंद्र के ग्रंथ समयमातृका का रचनाकाल १०५० ई है। यह एक हास्य प्रहसन का अत्युत्तम ग्रंथ है ।
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वेतालपञ्चविंशति - कथा २१
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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वेतालपञ्चविंशति - कथा २०
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ६३
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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वराहमिहिर - विवाहपटलम्
विवाहपटलम् ग्रथात वराहमिहिरने अतिशय समर्पकपणे विवाहासंबंध विचार मांडले आहेत.
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पाद ४ - खण्ड २०
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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रसविद्या - भाग १५
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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