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वर्षेऽस्मिन्
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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व्योमस्थाली
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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न्यूनता
Meanings: 11; in Dictionaries: 6
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nothing
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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naught
Meanings: 7; in Dictionaries: 3
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none
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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bit
Meanings: 20; in Dictionaries: 9
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उमाशतकम् - द्वितीयं दशकम्
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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not-
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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रहस्यनिर्देशनाम द्वादशं स्तोत्रम्
श्रीमदुत्पलदेवाचार्यविरचिता शिवस्तोत्रावली
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एकनाथी भागवत - श्लोक ४४ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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कीलकस्तोत्रम् - ॐ नमश्चण्डिकायै मार्कण्डे...
देवी आदिशक्ती माया आहे. तिची अनेक रूपे आहेत. जसे ती जगत्कल्याण्कारी तसेच दुष्टांचा संहार.करणारीही आहे.
The concept of Supreme mother Goddess is very old in India. The divine mother has been worshipped as ' Shakti' since vedic times.
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कीलकस्तोत्रम् - ॐ नमश्चण्डिकायै मार्कण्डे...
देवी आदिशक्ती माया आहे. तिची अनेक रूपे आहेत. जसे ती जगत्कल्याण्कारी तसेच दुष्टांचा संहार.करणारीही आहे.
The concept of Supreme mother Goddess is very old in India. The divine mother has been worshipped as ' Shakti' since vedic times.
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देवी कवच - कीलकम्
देवी कवच - कीलकम्
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least
Meanings: 10; in Dictionaries: 6
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slight
Meanings: 16; in Dictionaries: 4
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घेरण्ड संहिता - सप्तमोपदेशः
मुद्रा आणि योगासनांच्या संबंधी विस्तृत माहिती देणार ग्रंथ म्हणजे 'घेरण्ड संहिता'. हठयोगावर आधारित या ग्रंथाची रचना महर्षि घेरण्ड यांनी केली आहे.
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सर्ववेदसारसंग्रहः - प्राणमयकोशः
' सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रहः' यात सर्व वेदांतील सार सोप्या भाषेत कथन केले असून, वेद वाचल्याचा आनंद मिळतो.
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खण्डः २ - अध्यायः १६६
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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भाद्रपदमास: - ज्येष्ठापूजनविधि:
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती, धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे, आणि यांना जोड असते व्रत-वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची.
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पञ्चाशीतितमः पटलः - श्री परनाथकवचस्य विनियोगः
परनाथकवचम्
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ७३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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शङ्कराख्यः षष्ठोऽम्शः - चतुर्विंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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शान्तविलासः
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच. शान्तविलासः काव्याचे कवी आहेत,जगन्नाथपण्डित.
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सात्त्विकप्रकरणं
रूपगोस्वामी ह्या महान विद्वानाने रचलेला महान् ग्रंथ उज्ज्वलनीलमणिः होय.
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ऊनविंशः पटलः - प्रश्नादिकथने सिद्धिविधानम्
प्रश्नचक्रस्वरूपकथनम्
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कामाख्या स्तुतिः - षष्ठम् पटलः
कामरूप कामाख्या में जो देवी का सिद्ध पीठ है वह इसी सृष्टीकर्ती त्रिपुरसुंदरी का है ।
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दन्त
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मार्कण्डेयपुराणम् - चतुस्त्रिंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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काव्यमीमांसा - एकादशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
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परमार्थसारम्
श्रीमदादिशेषप्रणीतम् परमार्थसारम्
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ४२
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - अष्टाविंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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उत्तरभागः - अध्यायः २२
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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रामानुजभाष्य - अध्याय १२
वेदान्तचा शाब्दिक अर्थ आहे, वेदांचा अंत अथवा सार. ही ज्ञानयोगाची एक शाखा आहे, जी व्यक्तिला ज्ञान प्राप्तिच्या दिशेने उत्प्रेरित करते. वेदान्तच्या तीन मुख्य शाखा आहेत, अद्वैत वेदांत, विशिष्ट अद्वैत आणि द्वैत.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ३२
विष्णुधर्माः
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काव्यमीमांसा - द्वदशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
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ब्रह्मकाण्डः - अध्यायः ६
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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कार्तिकमास: - विष्णुप्रबोधोत्सवतुलसीविवाहविधि:
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती, धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे, आणि यांना जोड असते व्रत-वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ९२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ११
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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ध्यानबिन्दूपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४३३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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ब्रह्मकाण्डः - अध्यायः १६
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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अद्वयतारकोपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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क्रियाखण्डः - अध्यायः २१
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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वेदान्त परिभाषा - प्रामाण्यम्
धर्मराज अध्वरीन्द्र विरचित वेदान्त परिभाषा ग्रंथ वेद जाणून घेण्यासाठी उत्तम आहे.
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रामानुजभाष्य - अध्याय ६
वेदान्तचा शाब्दिक अर्थ आहे, वेदांचा अंत अथवा सार. ही ज्ञानयोगाची एक शाखा आहे, जी व्यक्तिला ज्ञान प्राप्तिच्या दिशेने उत्प्रेरित करते. वेदान्तच्या तीन मुख्य शाखा आहेत, अद्वैत वेदांत, विशिष्ट अद्वैत आणि द्वैत.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १५६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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शाण्डिल्योपनिषत्
उपनिषद् हिन्दू धर्माचे महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ आहेत. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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