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electer
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princes-metal
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orichalch
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queens metal
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pewter
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gong
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electre
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latten
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॥ अथ सप्तधातुवर्णाः ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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mug
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bell metal
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goblet
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jug
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amalgam
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bronze
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कासें
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॥ अथ रीतिकांस्ये ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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brass
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bell
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queen
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निदानम्
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metal
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खण्डः ३ - अध्यायः १६२
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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खण्डः ३ - अध्यायः २१४
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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वैशाख कृष्णपक्ष व्रत - कृष्णैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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विष्णुस्मृतिः - अध्यायः ८६
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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हारित
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ४८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २७६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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पराशरस्मृतिः - सप्तमोध्यायः
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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खण्डः २ - अध्यायः ०४७
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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चाणक्यनीतिदर्पणाः - षष्ठोऽध्यायः
आर्य चाणक्यने आपल्या नीतिशास्त्र या ग्रंथात आदर्श जीवन मूल्ये सविस्तर सांगितली आहेत.
Nitishastra is a treatise on the ideal way of life, and shows Chanakya's in depth study of the Indian way of life.
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आचारकाण्डः - अध्यायः ९८
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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आचारकाण्डः - अध्यायः १२८
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ६३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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उपधातु
Meanings: 14;
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माधुर्यखण्डः - अध्यायः ०८
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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खण्डः २ - अध्यायः १२०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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रसविद्या - भाग ७
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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रसप्रकाशसुधाकरः - चतुर्थोऽध्याय: ।
श्रीयशोधरविरचितो रसप्रकाशसुधाकर:।
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क्रियाखण्डः - अध्यायः १४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अध्याय ६६ - साधारणप्रतिष्ठाविधानं
अग्निदेवाच्या मुखातून हे पुराण सांगितले गेले म्हणून ह्या पुराणाचे नाव 'अग्नि पुराण' पडले.
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खण्डः ३ - अध्यायः ०९०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३००
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्री नारदीयमहापुराणम् - विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय ४
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
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उमासंहिता - अध्यायः २६
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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चरमांशुः - गोदानप्रयोगः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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अथ क्रियापादः - नित्योत्सवविधि पटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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