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hark
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अस्त्रवेदः
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छिन्नकर्णाजः
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listen
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॥ अथ कर्णपूरणम् ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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प्रथमांशुः - कर्णवेधः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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अथ कर्णवेध संस्कार:
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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helm
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deaf
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अधिज्य
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सूत्रस्थानम् - अष्टाविंशतितमोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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उत्तरस्थानम् - अष्टादशोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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अंशुमत्काश्यपागमः - जालकलक्षणपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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audience
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आत्ययिक
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आकर्ण
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चतुर्थोऽध्यायः
विश्वकर्मकृतायां वास्तुशास्त्रे वास्तुविद्या
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अंशुमत्काश्यपागमः - चतुर्भूमिविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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अंशुमत्काश्यपागमः - स्तम्भभूषणपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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सूत्रस्थान - अध्याय २८
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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विश्वक्सेनासंहिता - त्रयस्त्रिंशोऽध्याय:
विश्वक्सेनासंहिता
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मानसारम् - उपपीठविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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ear
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lend
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यादव
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उत्तरस्थान - अध्याय १८
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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नवमोऽध्यायः
विश्वकर्मकृतायां वास्तुशास्त्रे वास्तुविद्या
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अंशुमत्काश्यपागमः - नवभूमिविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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मण्डल ६ - सूक्तं ७५
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १०३
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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अंशुमत्काश्यपागमः - सप्तभूमिविधानपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ..
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मानसारम् - अधिष्ठानविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - भूपरीक्षाविधानम्
'मानसारम्' वास्तुशास्त्रावरील एक प्राचीन ग्रंथ आहे.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः २०८
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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दिग्भद्रा दिप्रासादलक्षणं नाम चतुष्षष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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विष्णुपर्व - द्व्यधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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चतुःशालविधानं नामैकोनविंशोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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चाटुप्रवाहवीचयः - सुभाषित १६२१ - १६४०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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list
Meanings: 40;
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प्रथमैकरात्रः - नवमोऽध्यायः
‘श्रीनारदपञ्चरात्रम‘ हा ग्रंथ वाचल्याने सामान्यज्ञानात भर पडते.
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अभिमुख
Meanings: 30;
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मानसारम् - सिंहासनलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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give
Meanings: 36;
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ब्रह्मकाण्डः - अध्यायः २०
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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अष्टमोऽध्यायः
विश्वकर्मकृतायां वास्तुशास्त्रे वास्तुविद्या
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हरिवंश पर्व - एकत्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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अंशुमत्काश्यपागमः - लिंगप्रासादपटलः
वास्तुशास्त्रावरील एक असामान्य ग्रंथ.
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सप्तमोध्यायः
विश्वकर्मकृतायां वास्तुशास्त्रे वास्तुविद्या
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अश्वमेधखण्डः - अध्यायः ४९
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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पञ्चदशकाण्ड: - ६ ते १०
पैप्पलादसंहिता
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