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तर्कसंग्रह - अथ षष्ठोऽध्याय
’तर्कसंग्रह’ग्रंथातील आठ अध्यायातून तर्कशास्त्राचे अचूक ज्ञान मिळते.
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portrait
Meanings: 6; in Dictionaries: 5
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collation
Meanings: 9; in Dictionaries: 7
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comparison
Meanings: 9; in Dictionaries: 9
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likeness
Meanings: 10; in Dictionaries: 4
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proverb
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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resemblance
Meanings: 6; in Dictionaries: 4
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अपहृति अलंकारः - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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caricature
Meanings: 9; in Dictionaries: 6
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conference
Meanings: 25; in Dictionaries: 11
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analogy
Meanings: 36; in Dictionaries: 16
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collate
Meanings: 12; in Dictionaries: 6
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imitate
Meanings: 12; in Dictionaries: 6
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compare
Meanings: 10; in Dictionaries: 5
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अपह्नुति
Meanings: 13; in Dictionaries: 5
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confer
Meanings: 16; in Dictionaries: 4
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पदकांड - वृत्तिसमुद्देशः ४
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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पदकांड - वृत्तिसमुद्देशः ७
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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मानसारम् - जैनलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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balance
Meanings: 112; in Dictionaries: 24
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पदकांड - क्रियासमुद्देशः
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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मुमुक्षुव्यवहारप्रकरणम् - सर्गः १८
योगवासिष्ठः
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match
Meanings: 36; in Dictionaries: 7
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पदकांड - वृत्तिसमुद्देशः ५
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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पदकांड - वृत्तिसमुद्देशः ६
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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अध्याय ६ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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शुक्रवह स्त्रोतस - परिचय
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः २२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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चमत्कारचन्द्रिका - अष्टमो विलासः
श्रीहरिची माला आणि श्रीराधाचा मुक्ताहार यांची ही कथा आहे.
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साहित्य दर्पण - दशमः परिच्छेदः
साहित्य दर्पण संस्कृत भाषा में साहित्य-विषयक महान ग्रन्थ है। इसके रचयिता विश्वनाथ हैं। साहित्य दर्पण के रचयिता का समय 14वीं शताब्दी ठहराया जाता है।
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