रसरत्नसमुच्चय - अध्याय १७
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
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चतुर्थः भागः - क्षुद्ररोगाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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