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बृहद्यात्रा - वारफल
‘ गणित ज्योतिष' या विषयावरील वराहमिहीराने लिहीलेला हा ग्रंथ ज्योतिषप्रेमींसठी अत्यंत उपयोगी आहे
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बृहद्यात्रा - गुह्यकानुष्ठान
‘ गणित ज्योतिष' या विषयावरील वराहमिहीराने लिहीलेला हा ग्रंथ ज्योतिषप्रेमींसठी अत्यंत उपयोगी आहे
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पदकांड - अपादानाधिकारः
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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पदकांड - अधिकरणाधिकारः
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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बृहद्यात्रा - ध्वजातपत्रादिशकुन
‘ गणित ज्योतिष' या विषयावरील वराहमिहीराने लिहीलेला हा ग्रंथ ज्योतिषप्रेमींसठी अत्यंत उपयोगी आहे
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विग्रहः - कथा २
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०१ - भाग १५
कौटिल्य अर्थात् चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र हा प्राचीन ग्रंथ आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०७ - भाग ११
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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आर्या सप्तशती - ब-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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पदकांड - कर्त्रधिकारः
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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मित्र लाभः - कथा ४
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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प्रथम अध्याय - समन्वय
ब्रह्मसूत्र ग्रंथाचे लेखक आहेत, बादरायण. या ग्रंथास वेदान्त सूत्र, उत्तर-मीमांसा सूत्र, शारीरिक सूत्र किंवा भिक्षु सूत्र या नावांनी सुद्धा ओळखतात. या ग्रंथात एकंदर ५५५ सूत्र आहेत.
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वाक्यकांड - भाग ७
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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वाक्यकांड - भाग १०
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय १० - भाग ३
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०५ - भाग ४
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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विग्रहः - आरंभः
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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योगयात्रा - प्रस्थानिकाध्याय
योग शास्त्र ऋषी मुनींनी जगाला शिकविले.
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सुभाषितरत्नकोशः - सद्व्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०६ - भाग १
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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बृहद्यात्रा - गजलक्षणेङ्गित
‘ गणित ज्योतिष' या विषयावरील वराहमिहीराने लिहीलेला हा ग्रंथ ज्योतिषप्रेमींसठी अत्यंत उपयोगी आहे
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पदकांड - संबन्धसमुद्देश
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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सुभाषितरत्नकोशः - निर्वेदव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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सुहृद्-भेदः - कथा २
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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वाक्यकांड - भाग ६
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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सुहृद्-भेदः - कथा ४
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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योग यात्रा - दैवपुरुषाकाराध्याय
योग शास्त्र ऋषी मुनींनी जगाला शिकविले.
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सुभाषितरत्नकोशः - दूतीवचनव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०७ - भाग ५
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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द्वितीय अध्याय - अविरोध
ब्रह्मसूत्र ग्रंथाचे लेखक आहेत, बादरायण. या ग्रंथास वेदान्त सूत्र, उत्तर-मीमांसा सूत्र, शारीरिक सूत्र किंवा भिक्षु सूत्र या नावांनी सुद्धा ओळखतात. या ग्रंथात एकंदर ५५५ सूत्र आहेत.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०७ - भाग १४
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०७ - भाग ३
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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बृहद्यात्रा - लग्नबल
‘ गणित ज्योतिष' या विषयावरील वराहमिहीराने लिहीलेला हा ग्रंथ ज्योतिषप्रेमींसठी अत्यंत उपयोगी आहे
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सूत्रस्थान - अध्याय १२
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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चतुर्थ अध्याय - फल
ब्रह्मसूत्र ग्रंथाचे लेखक आहेत, बादरायण. या ग्रंथास वेदान्त सूत्र, उत्तर-मीमांसा सूत्र, शारीरिक सूत्र किंवा भिक्षु सूत्र या नावांनी सुद्धा ओळखतात. या ग्रंथात एकंदर ५५५ सूत्र आहेत.
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सुभाषितरत्नकोशः - दूतिकोपालम्भव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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तत्त्वविवेकाख्यम् - श्लोक ४१ - ६५
'सार्थपंचदश्याम्' या ग्रंथात श्रीशंकराचार्यांनी मानवाच्या आयुष्यातील तत्वज्ञान सोप्या भाषेत विशद केले आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०७ - भाग १६
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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सुभाषितरत्नकोशः - पर्वतव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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आर्या सप्तशती - अ-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०७ - भाग १२
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०३ - भाग १०
कौटिल्य अर्थात् चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र हा प्राचीन ग्रंथ आहे.
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सूर्य सिद्धांत - ग्रहयुत्यधिकारः
सूर्य सिद्धांत म्हणजे भारतीय खगोलशास्त्रावरील टीका आहे . हा ग्रंथ वराहमिहीरने लिहीला . याचे प्राचीन उल्लेख बौद्ध काळी तिसर्या शतकात मिळतात .
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सुभाषितरत्नकोशः - असद्व्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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सुभाषितरत्नकोशः - संकीर्णव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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विग्रहः - कथा ६
हितोपदेश भारतीय जन- मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल व सुग्राह्य हैं।
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सुभाषितरत्नकोशः - सम्भोगव्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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from
Meanings: 7;
Dictionaries: 3
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सुभाषितरत्नकोशः - शरद्व्रज्या
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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पदकांड - दिक्समुद्देशः
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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