Site Search Input language: Select language देवनागरी Roman Kannada Bengali/Bangla Gurmukhi Gujarati Site Search Google Search Search results Results does not include Ancestry or QnA (Prashna) द्वासप्ततित्रिशाललक्षणं नामैकविंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, तोरणभङ्गादिशान्तिको नाम षट्चत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १५१ ते २०३ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - १५१ ते २२० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, हस्तलक्षणं नाम नवमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, सप्तविंशतिमण्डपलक्षणं नाम सप्तषष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते ११४ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, देवादिरूपप्रहरणसंयोगलक्षणं नाम सप्तसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, राजनिवेशो नाम पञ्चदशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, प्रश्नो नाम तृतीयोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, चतुःशालविधानं नामैकोनविंशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, लिङ्गपीठप्रतिमालक्षणं नाम सप्ततितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, पञ्चपुरुषस्त्रीलक्षणं नामैकाशीतितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - १५१ ते २१० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, यन्त्रविधानं नामैकत्रिंशोऽध्यायः - २०१ ते २२३ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, गृहद्र व्यप्रमाणानि नामाष्टाविंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, वास्तुत्रयविभागो नामैकादशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, चयविधिर्नामैकचत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, कीलकसूत्रपातो नाम सप्तत्रिंशोऽध्यायः - ५१ ते ८१ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, दिग्भद्रा दिप्रासादलक्षणं नाम चतुष्षष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते १२० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, अथाण्डकप्रमाणं नाम चतुःसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, सप्तविंशतिमण्डपलक्षणं नाम सप्तषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - २०१ ते २५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, मेर्वादिविंशिकानागरप्रासादलक्षणं नाम त्रिषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, राजगृहं नाम त्रिंशोऽध्यायः - १०१ ते १४० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, अथायतननिवेशो नामैकपञ्चाशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, पीठपञ्चकलक्षणं नामैकषष्टितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, ऋज्वागतादिस्थानलक्षणं नामैकोनाशीतितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, पताकादिचतुष्षष्टिहस्तलक्षणं नाम त्र्यशीतितमोऽध्यायः - १५१ ते २०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, महदादिसर्गश्चतुर्थोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, नाड्यादिसिरादिविकल्पो नाम द्वादशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, बलिदानविधिर्नाम षट्त्रिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, भूमिबन्धो नाम द्विसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, आयादिनिर्णयो नाम षड्विंशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, चित्रोद्देशो नामैकसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, प्रासादजातिर्नाम द्विपञ्चाशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, चतुःशालविधानं नामैकोनविंशोऽध्यायः - १०१ ते १५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - १०१ ते १५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, आयादिनिर्णयो नाम षड्विंशोऽध्यायः - ५१ ते ८० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, विमानादिचतुष्षष्टिप्रासादलक्षणं नामैकोनषष्टितमोऽध्यायः - १०१ ते १५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, प्रासादशुभाशुभलक्षणं नाम पञ्चाशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Type: PAGE | Rank: 0.6056558 | Lang: NA Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र, वर्णाश्रमप्रविभागो नाम सप्तमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. 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