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कैं
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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कै
Meanings: 6; in Dictionaries: 4
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भजन - सखि नीके कै निरखि कोऊ सुठ...
तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।
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कै॥
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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कै करना
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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कै करने वाला
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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कै करवाना
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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कै कराना
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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disgorgement
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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emesis
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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puking
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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vomit
Meanings: 15; in Dictionaries: 4
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vomiting
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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regurgitation
Meanings: 9; in Dictionaries: 5
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retch
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heave
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जैं
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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जैअ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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मानसारम् - मौलिलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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भिक्षाटनकाव्यम् - षड्विंशी पद्धतिः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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सुप्रभेदागमः - वह्निस्थापनविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - अङ्गदूषणविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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सुप्रभेदागमः - तन्त्रसंकरविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - शालाविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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भिक्षाटनकाव्यम् - षोडशी पद्धतिः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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भिक्षाटनकाव्यम् - पञ्चत्रिंशी पद्धतिः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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चर्यापदः - जातिभेदविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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चर्यापदः - दहनविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - उत्तमदशतालविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - स्तम्भलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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भिक्षाटनकाव्यम् - विंशी पद्धतिः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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भिक्षाटनकाव्यम् - द्वाविंशी पद्धतिः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - तोरणविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय चौदावा
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय पहिला
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - भक्तलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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चर्यापदः - पितृयज्ञविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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सुप्रभेदागमः - दुर्गास्थापनविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - द्वारमानविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - प्रतिमाविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय सतरावा
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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भिक्षाटनकाव्यम् - त्रयोविंशी पद्धतिः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय चवथा
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - दशतलविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - सिंहासनलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय तिसरा
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय अठरावा
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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ज्ञानपदः - पशुसृष्टिविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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सुप्रभेदागमः - शूलस्थापनविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय तेविसावा
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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