अभिलाषा - नरसीलो टेर लगावे जी , ...

’अभिलाषा’के अंतर्गत भगवत्प्रेमी संतोंकी सुमधुर कल्याणमयी कामनाओंका दिग्दर्शन करानेवाले पदोंकी छटा भाव-दृष्टिके सामने आती है ।


नरसीलो टेर लगावे जी, थे आवो श्रीभगवान ॥

मैं तेरे भरोसे आयो, पण सागे कछु न ल्यायो ।

मैं आकार के पछतायो जी, थे आवो श्रीभगवान ॥१॥

या समय भातकी आई, पण तूँ नहीं सूरत दिखाई ।

यों होसी लोग हँसाई जी,थे आओ श्रीभगवान ॥२॥

के निंद्रा थाने आई, के सत्यभामा बिलमाई ?

के भक्त कोई अटकायो जी, थे आवो श्रीभगवान ॥३॥

यो भात भर् यो नहीं जासी तो नानी बाई मर जासी ।

तो बिरद तिहारो जासी जी, थे आवो श्रीभगवान ॥४॥

जब देवकी-नन्दन आया, कंचनका मेह बरसाया ।

यह वेद बिमल जस गाया जी, थे आओ श्रीभगवान ॥५॥

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Last Updated : January 22, 2014

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