अभिलाषा - बसो मेरे नैननि में यह जोर...

’अभिलाषा’के अंतर्गत भगवत्प्रेमी संतोंकी सुमधुर कल्याणमयी कामनाओंका दिग्दर्शन करानेवाले पदोंकी छटा भाव-दृष्टिके सामने आती है ।


बसो मेरे नैननि में यह जोरी ।

सुन्दर स्याम कमल-दल-लोचन,सँग बृषभानु-किसोरी ॥१॥

मोर-मुकुट मकराकृत कुण्डल, पीताम्बर झक-झोरी ।

’सूरदास’ प्रभु तुम्हरे दरसकों, का बरनौं मति थोरी ॥२॥

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Last Updated : January 22, 2014

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