कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - पाषाणचतुर्दशी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


पाषाणचतुर्दशी

( देवीपुराण ) -

उसी चतुर्दशीको जौके चूर्णकी चौकोर रोटी बनाकर गौरीकी आराधना करे और उक्त रोटीका नैवेद्य अर्पण करके स्वयं उसीका एक बार भोजन करे तो सुख - सम्पत्ति और सुन्दरता प्राप्त होती है ।

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Last Updated : January 22, 2009

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