कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - तुलसीवास

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


तुलसीवास

( स्कन्दपुराण ) -

कार्तिक शुक्ल नवमीको प्रातःस्त्रानादि करके मकानके अंदर बालूकी वेदी बनाये । उसपर तुलसीका प्रत्यक्ष पेड़ और चाँदीकी सपत्र शाखा तथा सोनेकी मंजरीयुक्त निर्मित पेड़ रखके यथाविधि पूजन करे । ऋतुकालके फल - पुष्पादिका भोग लगाये । एक दीपकको घीसे पूर्ण करके लम्बी बातीसे उसे अखण्ड प्रज्वलित रखे और निराहार रहकर रात्रिमें कथावार्ता श्रवण करनेके अनन्तर जमीनपर शयन करे । इस प्रकार नवमी, दशमी और एकादशीका उपवास करनेके अनन्तर द्वादशीको ( रेवतीके अन्तिम तृतीयांशकी २० घड़ियाँ हों तो उनको त्यागकर । ब्राह्मणदम्पतिको दान - मानसाहित भोजन कराकर स्वयं भोजन करे ।

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Last Updated : January 22, 2009

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