कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - गोष्ठ अष्टमी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


गोष्ठ - ( गोप ) - अष्टमी

( निर्णयामृत, कूर्मपुराण ) - कार्तिक शुक्ल अष्टमीको प्रातःकालके समय गौओंको स्त्रान करावे । गन्ध - पुष्पादिसे उनका पूजन करे और अनेक प्रकारके वस्त्रालंकारसे अलंकृत करके उनके गोपालों ( ग्वालों ) का पूजन करे, गायोंको गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा करे और थोड़ी दूरतक उनके साथ जाय तो सब प्रकारकी अभीष्टसिद्धि होती है । इसी गोपाष्टमीको सायंकालके समय गायें चरकर वापस आवें उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पञ्चोपचार पूजन करके कुछ भोजन करावे और उनकी चरणरजको मस्तकपर धारण करके ललाटपर लगावे तो उससे सौभाग्यकी वृद्धि होती है ।

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Last Updated : January 22, 2009

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