कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - लक्ष्मीपूजन

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


लक्ष्मीपूजन -

कार्तिक कृष्ण अमावास्या ( दीपावलीके दिन ) प्राप्तःस्त्रानादि नित्यकर्मसे निवृत्त होकर

' मम सर्वापच्छान्तिपूर्वकदीर्घांयुष्य बलपुष्टिनैरुज्यादिसकलशुभफलप्रात्यथं

गजतुरगथराज्यैश्चर्यादिसकलसम्पदामुत्तरोत्तराभिवृद्धयर्थम् इन्द्रुकुबेरसाहितश्रीलक्ष्मीपूजनं करिष्ये ।'

यह संकल्प करके दिनभर व्रत रखे और सायंकालके समय पुनः स्त्रान करके पूर्वाक्त प्रकारकी ' दीपावली ', ' दीपमालिका ' और ' दीपवृक्ष ' आदि बनाकर कोंशगार ( खजाने ) में या किसी भी शुद्ध, सुन्दर, सुशोभित और शान्तिवर्द्धक स्थानमें वेदी बनाकर या चौकी - पाटे आदिपर अक्षतादिसे अष्टदल लिखे और

' कुबेराय नमः'

इन नामोंसे तीनोंका पृथक - पृथक ( या एकत्र ) यथाविधि पूजन करके

' नमस्ते सर्वदेवाना वरदासि हरेः प्रिया । या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्त्वदर्चनांत् ॥'

से ' लक्ष्मी ' की' ' ऐरावतसमारुढो वज्रहस्तो महाबलः । शतयज्ञाधिपौ देवमस्तस्म इन्द्राय ते नमः ॥'

से ' इन्द्र ' की और

' धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च । भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः ॥'

से ' कुबेर ' की प्रार्थना करे । पूजनसामग्रीमें अनेक प्रकारके उत्तमोत्तम मिठाई, उत्तमोत्तम फल - पुष्प और सुगन्धपूर्ण धूप - दीपादि ले और ब्रह्मचर्यसे रहकर उपवास अथवा नक्तव्रत करे ।

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Last Updated : January 22, 2009

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