आश्विन शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


शुक्लैकादशी

( पद्मपुराण ) -

पापपरायण पुरुषोंके पापोंको वशवर्ती बनानेमें आश्विन शुक्ल एकादशी अङ्कुशके समान है । इसी कारण इसका नाम ' पापाङ्कुशा ' है । यह स्वर्ग और मोक्षको देनेवाली, शरीरको नीरोग रखनेवाली, सुन्दरी, सुशीला, स्त्री, सदाचारी पुत्र और सुस्थिर धन देनेवाली है । उस दिन दिनमें भगवानका पूजन और रात्रिमें उनके सम्मुख जागरण करके दूसरे दिन पूर्वाह्णमें पारण करके व्रतको समाप्त करे ।

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Last Updated : January 21, 2009

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