आश्विन शुक्लपक्ष व्रत - अशोकव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


अशोकव्रत

( भविष्योत्तर ) -

आश्विन शुक्ल प्रतिपदाको नवीन पल्लवोंवाले अशोकवृक्षके समीप सप्तधान्य, गेहूँके गुणे, मोदक, अनार आदि ऋतुफल और पुष्पादि चढ़ाकर यथाविधि पूजन करे और

' अशोक शोकशमनो भव सर्वत्र नः कुले '

से अर्घ्य देकर उसे उत्तम वस्त्रोंसे ढककर पताकादि लगाये तो व्रतवती स्त्रीके सब शोक नष्ट हो जाते हैं । जिस समय जनकनन्दिनी सीताने लंकाकी अशोकवाटिकामें यह व्रत किया था, उस समय उनके सब शोक दूर हो गये थे ।

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Last Updated : January 21, 2009

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