वैशाख शुक्लपक्ष व्रत - परशुराम जयन्ती

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


परशुराम - जयन्ती -

परशुरामजीका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीयाको रात्रिके प्रथम प्रहरमें हुआ था, अतः यह प्रदोषव्यापिनी ग्राह्य होती है । यदि दो दिन प्रदोषव्यापिनी हो तो दूसरा व्रत करना चाहिये । व्रतके दिन प्रातः-स्त्रानके अनन्तर ' मम ब्रह्मत्वप्राप्तिकामनया परशुरामपूजनमहं करिष्ये ' यह संकल्प करके सूर्यास्ततक मौन रखे और सायंकालमें पुनः स्त्रान करके परशुरामजीका पूजन करे तथा ' जमदग्निसुतो वीर क्षत्रियान्तकर प्रभो । गृहाणार्घ्यं मया दत्तं कृपया परमेश्वर ॥ ' इस मन्त्नसे अर्घ्य देकर रात्रिभर राममन्त्रका जप करे ।

गौरीपूजा - यह भी वैशाख शुक्ल तृतीयाको ही की जाती है । इस दिन पार्वतीका प्रीतिपुर्वक पूजन करके धातु या मिट्टीके कलशमें जल, फल, पुष्प, गन्ध, तिल और अन्न भरकर ' एष धर्मघटो दत्तो ब्रह्माविष्णु - शिवात्मकः । अस्य प्रदानात्सकला मम सन्तु मनोरथाः ॥ ' यह उच्चारण करके उसे दान करे ।

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Last Updated : January 16, 2009

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