चैत्र शुक्लपक्ष व्रत - नेत्रव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


नेत्रव्रत ( विष्णुधर्मोत्तर ) -

यह भी इसी द्वितीयाको किया जाता है । इसके लिये सूर्य - चन्द्रस्वरुप अश्विनीकुमारोंकी मूर्ति बनवाकर उनका गन्ध - पुष्पादिसे पूजन करे । ब्रह्मचर्यसे रहे । ब्राह्मणोंको सोने - चाँदीकी दक्षिणा दे और गौके दहीमें गौका घी मिलाकार भोजन करे । यह व्रत १२ वर्षतक किया जाता है और इसके करनेसे नेत्रोंकी ज्योति और मुख - मण्डलकी आभा बढ़ती है ।

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Last Updated : January 16, 2009

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