हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार|
देख निज नित्य निकेतन द्वा...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - देख निज नित्य निकेतन द्वा...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

देख निज नित्य निकेतन द्वार ॥

भूला निज निर्मल स्वरूपको, भूला कुल-ब्यवहार ।

फूला, फँसा फिर रहा संतत, सहता जग फटकार ॥

पर-पुर पर-घरमें प्रवेशकर पाला पर-परिवार ।

पड़ा पाँच चोरोंके पल्ले लुटा, हुआ लाचार ॥

अब भी चेत, ग्रहण कर सत्पथ, तज माया आगार ।

उज्ज्वल प्रेम-प्रकाश साथ ले चल निज गृह सुखसार ॥

शम-दमादिसे तुरत निधनकर काम-क्रोध बटमार ।

सेवन कर पुनीत सत-संगति पथशाला श्रमहार ॥

श्रीहरिनाम शमन भय नाशक निर्भय नित्य पुकार ।

पातकपुंज नाश हों सुनकर 'हरि-हरि'हरि' हुंकार ॥

आश्रयकर, शरणागतवत्सल प्रभु पद कमल उदार ।

निज घर पहुँच, नित्य चिन्मय बन, भूमानंद अपार ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : September 25, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP