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जगतमें कोइ नहिं तेरा रे ।...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - जगतमें कोइ नहिं तेरा रे ।...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।


जगतमें कोइ नहिं तेरा रे ।

छाड बृथा अभिमान त्याग दे मेरा-मेरा रे ॥

काल करम बस जग-सराय बिच कीन्हा डेरा रे ।

इस सरायमें सभी मुसाफर, रैन-बसेरा रे ॥

जिस तनको तू सदा सँवारै साँझ-सबेरा रे ।

एक दिन मरघट पड़े भसमका होकर ढेरा रे ॥

मात-पिता, भ्राता, सुत-बांधव, नारी चेरा रे ।

अंत न होय सहाय, काल जब देवै घेरा रे ॥

जगका सारा भोग सदा कारन दुखकेरा रे ।

भज मन हरिका नाम, पार हो भव-जल बेरा रे ॥

दीनदयालु भक्तवत्सल हरि मालिक तेरा रे ।

दीन होय उनके चरनोमें कर ले डेरा रे ॥

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Last Updated : May 24, 2008

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