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तजो रे मन झूठे सुखकी आसा ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - तजो रे मन झूठे सुखकी आसा ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

तजो रे मन झूठे सुखकी आसा ।

हरि-पद भजो, तजो सब ममता, छोड़ बिषय-अभिलासा ।

बिषयनमें सुख सपनेहुँ नाहीं, केवल मात्र दुरासा ॥

कामिनि-सुत, पितु-मातु, बंधु, जस, कीरति सकल, सुपासा ।

छिनमहँ होत बियोग सबन्हते, कठिन काल जग नासा ॥

क्षणभंगुर सब बिषय, निरंतर बनत कालके ग्रासा ।

इनमें जो कोउ फिर सुख चाहत सो नित मरत पियासा ॥

प्रभु-पद-पदम सदा अबिनासी, सेवत परम हुलासा ।

मिलै परम सुख, घटै न कबहूँ, जिनके मन बिस्वासा ॥

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Last Updated : May 24, 2008

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