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चाहता जो परम सुख तू , जाप...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - चाहता जो परम सुख तू , जाप...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

चाहता जो परम सुख तू, जाप कर हरिनामका ।

परम पावन, परम सुन्दर, परम मंगलधामका ॥

लिया जिसने है कभी हरि-नाम भय भ्रम-भूलसे ।

तर गया, वह भी तुरत, बंधन कटे जड़-मूलसे ॥

है सभी पातक पुराने घास सूखेके समान ।

भस्म करनेको उन्हें हरिनाम है पावक महान ॥

सूर्य उगते ही अँधेरा नाश होता है यथा ।

सभी अघ है नष्ट होते नामकी स्मृति से तथा ॥

जाप करते जो चतुर नर सावधानीसे सदा ।

वे न बँधते भूलकर यमपास दारुणमें कदा ॥

बात करते, काम करते, बैठते-उठते समय ।

राह चलते नाम लेते विचरते है वे अभय ॥

साथ मिलकर प्रेमसे हरिनाम करते गान जो ।

मुक्त होते मोहसे कर प्रेम-अमृत पान सो ॥

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Last Updated : May 24, 2008

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