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जयति देव जयति देव , जय दय...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - जयति देव जयति देव , जय दय...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

जयति देव जयति देव, जय दयालु देवा ।

परम गुरु, परम पूज्य, परम देव देवा ॥

सब बिधि तव चरन-सिरन आइ पर्‌यो दासा ।

दीन, हीन, मति-मलीन, तदपि सरन-आसा ॥

पातक अपार किंतु दयाको भिखारी ।

दुखित जानि राखु सरन पाप-पुंज-हारी ॥

अबलौके सकल दोष क्षमा करहु स्वामी ।

ऐसो करु, जाते पुनि हौ, न कुपथगामी ॥

पात्र हौ कुपात्र हौ, भले अनधिकारी ।

तदपि हौं तुम्हारो, अब लेहु मोहि उबारी ॥

लोग कहत तुम्हरो सब, मनहु कहत सोई ।

करिय सत्य सोइ नाथ भव भ्रम सब खोई ॥

मोरि ओर जनि निहारि, देखिय निज तनही ।

हठ करि मोहि राखिय हरि ! संतत तल पनही ॥

कहौ कहा बार-बार जानहु सब भेवा ।

जयति, जयति, जय दयालु, जय दयालु देवा ॥

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Last Updated : May 24, 2008

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