भजन - है बिहारे बाग दुनिया चंदर...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


है बिहारे बाग दुनिया चंदरोज, देख लो इसका तमाशा चंदरोज ।

ऐ मुसाफिर कुचका सामान कर, इस जहाँमें है बसैरा चंदरोज ॥

पूछा लुकमाँसे जिया तु कितने रोज ? दस्त हसरतमलके बोला, चंदरोज ।

बादे मदफन कब्रमें बोली कजा-अब यहाँ पै सोते रहना चंदरोज ॥

फिर तुम कहाँ औ मैं कहाँ ऐ दोस्तो ! साथ है तुम्हारा चंदरोज ।

क्या सताते हो दिले बेजुर्मको, जालिमो, है ये जमाना चंदरोज ॥

याद कर तू ऐ नजीर ! कबरोंके रोज, जिंदगीका है भरोसा चंदरोज ।

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Last Updated : December 25, 2007

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