भजन - कहती थी दिलमें , दूध जो अ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


सब होस बदनका दूर हुआ, जब गतपर आ मिरदंग बजी ।

तन भंग हुआ, दिल दंग हुआ, सब गान गई बेआन सजी ॥

यह नाचा कौन 'नजीर' अब याँ, और किसने देखा नाच अजी !

जब बूँद मिली जा दरियामें, इस तानका आखिर निकला जी ।

है राग उन्हींके रंग-भरे, औ भाव उन्हींके साँचे है ॥

जो बे-गत बे-सुरताल हुए, बिन ताल पखावज नाचे है ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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