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आदि अंत मेरा है राम , उन ...

भजन - आदि अंत मेरा है राम , उन ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


आदि अंत मेरा है राम, उन बिन और सकल बेकाम ॥

कहा करूँ तेर बेद-पुराना, जिन है सकल सकत बरमाना ।

कहा करूँ तेरी अनुभौ बानी, जिनतें मेरी बुद्धि भुलानी ॥

कहा करूँ येमान-बड़ाई, राम बिना सब ही दुखदाई ।

कहा करूँ तेरा सांख्य औ जोग, राम बिना सब बंधन रोग ॥

कहा करूँ इन्द्रिनका सुक्ख, राम बिना देवा सब दुक्ख ।

'दरिया' कहै, राम गुरु मुखिया, हरि बिन दुखी, रामसँग सुखिया ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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