भजन - द्रौपदि औ गनिका , गज , गी...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


द्रौपदि औ गनिका, गज, गीध, अजामिलसों कियो सो न निहारो ।

गौतम-गेहिनी कैसे तरी, प्रहलादकौ कैसे हरयौ दुख भारो ॥

काहे को सोच रसखानि, कहा करिहै रवि - नन्द बिचारो ?

कौनकी संक परी है जु माखन-चाखनहारो है राखनहारो ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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