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होरी -सी हिय झार बढै री ।...

भजन - होरी -सी हिय झार बढै री ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


होरी-सी हिय झार बढै री । यह बिछुरन मेरे प्रान हरै री ॥

नेह नगरमें धूम मचाई, फेर फिरावत दै दै फेरी ।

तन मन प्रान छार भये, मेरे धीरज जियरा नाहिं धरै री ॥

यह ऊधम अब कबलौं सहिये, मनमानी मो सँग जु करै री ।

जुगलप्रिया सरसाय दरस दे, सीतलता प्रिय आय भरै री ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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