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अनुभवकी बात कोउ कोउ जानै ...

भजन - अनुभवकी बात कोउ कोउ जानै ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


अनुभवकी बात कोउ कोउ जानै ॥

कोउ नयनहीन, कोउ मन मलीन, कोउ-कोउ मेधामें रति मानै ।

जंजाल वर्णपल पा~म्चकेर द्विजको अस जो चीरै तानै कोउ१कोउ

सतरहो साधि चतुराग्नि तापि पंचम कृशानु महँ प्रण ठानै ।

लागै जब महाप्रलयकी लपट 'केशी' तब हर बूटी छानै ॥२॥

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Last Updated : December 23, 2007

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