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चंचल मनको बस करिय कसस ॥ ...

भजन - चंचल मनको बस करिय कसस ॥ ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


चंचल मनको बस करिय कसस ॥

योगी-मुनि ऐसे बरबरात परमार्थ पथिक जिहि लखि डरात ।

अभ्यास-बिरत जुग बिधि लखात, गीतामों श्रीमुख बचनहु अस ॥

हनुमत-मत मनहिं कहिय हरि यस, जिहि भावै वाको रामैरस ।

'केशी' बढ़ै उर प्रेम जसस, थिर हो मन प्यारे तसस-तसस ॥

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Last Updated : December 22, 2007

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