भजन - सखि , मेरे मनकी को जानै ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।

 


सखि, मेरे मनकी को जानै ।

कासों कहौं सुनै जो चित दै, हितकी बात बखानै ॥

ऐसो को है अंतरजामी, तुरत पीर पहिचानै ।

नारायन जो बीत रही है, कब कोई सच मानै ॥

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Last Updated : December 24, 2007

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