भजन - बृंदाबन की सोभा देखे ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


बृंदाबन की सोभा देखे मेरे नैन सिरात ।

कुंज निकुंज पुंज सुख बरसत हरषत सबकौ गात ॥

राधा मोहनके निज मंदिर महाप्रलय नहिं जात ।

ब्रह्मातें उपज्यो न अखंडित कबहूँ नाहिं नसात ॥

फनिपर रवि तरि नहिं बिराट महँ नहिं संध्या नहिं प्रात ।

माया कालरहित नित नूतन सदा फूल फल पात ॥

निरगुन सगुन ब्रह्मतें न्यारौ बिहरत सदा सुहात ।

ब्यास बिलास रास अदभुत गति, निगम अगोचर बात ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 21, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP