भजन - जो पै चोंप मिलनकी होय...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जो पै चोंप मिलनकी होय ।

तौ क्यों रहै ताहि बिनु देखे लाख करौ जिन कोय ॥

जो यह बिरह परस्पर ब्यापै जो कछु जीवन बनै ।

लोकलाज कुलकी मरजादा एकौ चित्त न गनै ॥

कुंभनदास प्रभु जाय तन लागी और न कछू सुहाय ।

गिरधरलाल तोहि बिनु देखे छिन-छिन, कलप बिहाय ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 21, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP