भजन - जो गिरि रुचै तौ बसौ श्रीग...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जो गिरि रुचै तौ बसौ श्रीगोबर्धन गाम रुचै तौ बसौ नँदगाम ।

नगर रुचै तौ बसौ श्रीमधुपुरी, सोभासागर अति अभिराम ॥१॥

सरिता रुचै तौ बसौ श्रीजमुनातट, सकल मनोरथ पूरन काम ।

’नंददास’ कानन रुचै तौ, बसौ भूमि बृंदाबन-धाम ॥२॥

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Last Updated : December 21, 2007

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