भजन - जयति श्रीराधिके सकलसुखस...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जयति श्रीराधिके सकलसुखसाधिके

तरुनिमनि नित्य नवतन किसोरी ।

कृष्णतनु लीन मन रुपकी चातकी

कृष्णमुख हिमकिरिनकी चकोरी ॥१॥

कृष्णदृग भृंग बिस्त्रामहित पद्मिनी

कृष्णदृग मृगज बंधन सुडोरी ।

कृष्ण-अनुराग मकरंदकी मधुकरी

कृष्ण-गुन-गान रास-सिंधु बोरी ॥२॥

बिमुख परचित्त ते चित्त जाको सदा

करत निज नाहकी चित्त चोरी ।

प्रकृति यह गदाधर कहत कैसे बनै

अमित महिमा इतै बुद्धि थोरी ॥३॥

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Last Updated : December 21, 2007

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