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क्यों बिसरै मेरा पीव पिया...

भजन - क्यों बिसरै मेरा पीव पिया...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


क्यों बिसरै मेरा पीव पियारा ।

जीवकी जीवन प्राण हमारा ॥टेक॥

क्यौंकर जीवै मीन जल बिछुरें,

तुम बिन प्राण सनेही ।

चिंतामणि जब करतैं छूटै,

तब दुख पावै देही ॥१॥

माता बालक दूध न देवै,

सो कैसैं करि पीवै ।

निरधनका धन अनत भुलाना,

सो कैसे करि जीवै ॥२॥

बरखहु राम सदा सुख अमिरत,

नीझर निरमल धारा ।

प्रेम पियाला भर भर दीजै,

दादू दास तुम्हारा ॥३॥

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Last Updated : September 28, 2008

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