लक्षतुलसीदलार्पणव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


लक्षतुलसीदलार्पणव्रत

( भविष्यपुराण ) - कार्तिक या माघमें भगवानके तुलसीदल अर्पण करे और माघ या वैशाखमें ( अथवा कार्तिकका माघमे और माघका वैशाखमें ) उद्यापन करे । पत्रार्पणकी क्रिया यह है कि वृन्दा ( तुलसी ) के वनमें जाकर तुलसीके उत्तम और समान आकारके एक हजार पत्र लाये । उनमें गन्धसे विष्णुका नाम लिखे, पीछे शालग्रामजीका तथा नामङ्कित तुलसीपत्रोंका गन्धाक्षतसे पूजन करे । उस समय स्त्रान कराकर गन्ध और अक्षत अर्पण करे और पुष्पार्पणके पहले विष्णुसहस्त्रनामके एक - एक नामसे एक - एक तुलसीपत्र भगवानके अर्पण करे । इस प्रकार सौ दिनमें लक्षदल अर्पण करके यथाविधि हवन आदि करे तो इससे सम्पूर्ण प्रकारके पाप नष्ट हो जाते हैं ।

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Last Updated : January 16, 2012

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