माघ शुक्लपक्ष व्रत - भीष्माष्टमी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


भीष्माष्टमी

( धवलनिबन्ध ) - माघ शुक्ल अष्टमीको जौ, तिल, गन्ध, पुष्प, गङ्गजल और दर्भ आदिसे भीष्मजीका श्राद्ध अथवा तर्पण करे तो अभीष्टसिद्धि होती है । यदि तर्पणमात्र भी न किया जाय तो पाप होता है । श्राद्धके अवसरमें भीष्मका पूजन भी किया जात है, अतः उसमें ' वसूनामवताराय शंतनोरात्मजाय च । अर्घ्यं ददामि भीष्माय आबाल्यब्रह्मचारिणे ॥' इस मन्त्नसे अर्घ्य दे ।

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Last Updated : January 01, 2002

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