पौष शुक्लपक्ष व्रत - उभयसप्तमी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


उभयसप्तमी

( आदित्यपुराण ) - यह व्रत पौष शुक्ल सप्तमीको उपवास करके तीनों संधियों ( प्रातः, मध्याह और सायंकाल ) में गन्ध, पुष्प और घृतादिसे सूर्यका पूजन करे और क्षारसिद्ध मोदक निवेदन करे ( पकते हुए घीमें नमक डालकर उसे निकाल दे और फिर आटेको सेंककर मोदक बनावे ) । ब्राह्मणोंको भोजन कराये, गोदान करे और भूमिपर शयन करे तो सब कामना सफल होती है ।

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Last Updated : January 01, 2002

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