षोडशमातृका-पूजन

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


षोडशमातृका-पूजन
षोडशमातृकाओंकी स्थापनाके लिये पूजक दाहिनी और पाँच खडी पाइयों और पाँच पडी पाइयोंका चौकोर मण्डल बनाये । इस प्रकार सोलह कोष्ठक बन जायँगे । पश्चिमसे पूर्वकी ओर मातृकाओंका आवाहन और स्थापन करे । कोष्ठकोंमें रक्त चावल, गेहूँ या जौ रख दे । पहले कोष्ठकमें गौरीका आवाहन होता है, अत: गौरीके आवाहनके पूर्व गणेशका भी आवाहन पुष्पाक्षतोंद्वारा इसी कोष्ठकमें करे । इसी प्रकार अन्य कोष्ठकोंमे भी निम्नांकित मन्त्र पढते हुए आवाहन करे ।

आवाहन एवं स्थापन -
१-ॐ गणपतये नम:, गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि ।
ॐ गौर्यै नम:, गौरीमावाहयामि, स्थापयामि ।
२-ॐ पद्मायै नम:, पद्मामावाहयामि, स्थापयमि ।
३-ॐ शच्यै नम:, शचीमावाहयामि, स्थापयामि ।
४-ॐ मेधायै नम:, मेधामावाहयामि, स्थापयामि ।
५-ॐ सावित्र्यै नम:, सावित्रीमावाहयामि, स्थापयामि ।
६-ॐ विजयायै नम:, विजयामावाहयामि, स्थापयामि ।
७-ॐ जयायै नम:, जयामावाहयामि, स्थापयामि ।
८-ॐ देवसेनायै नम:, देवसेनामावाहयामि, स्थापयामि ।
९-ॐ स्वधायै नम:, स्वधामावाहयामि, स्थापयामि ।
१०-ॐ स्वाहायै नम:, स्वाहामावाहयामि, स्थापयामि ।
११-ॐ मातृभ्यो नम:, मातृ: आवाहयामि, स्थापयामि ।
१२-ॐ लोकमातृभ्यो नम:, लोकमातृ: आवाहयामि, स्थापयामि ।
१३-ॐ धृत्यै नम:, धृतिमावाहयामि, स्थापयामि ।
१४-ॐ पुष्टयै नम:, पुष्टिमावाहयामि, स्थापयामि ।
१५-ॐ तुष्टयै नम:, तुष्टिमावाहयामि, स्थापयामि ।
१६-ॐ आत्मन: कुलदेवतायै नम:, आत्मन: कुलदेवतामावाहयामि, स्थापयामि ।
इस प्रकार षोडशमातृकाओंका आवाहन, स्थापनकर ‘ॐ मनो जूति०’ इस मन्त्रसे अक्षत छोडते हुए मातृका-मण्डलकी प्रतिष्ठा करे, तत्पश्चात्‍ निम्नलिखित नाम-मन्त्रसे गन्धादि उपचारोंद्वारा पूजन करे -
‘ॐ गणेशसहितगौर्यादिषोडशमातृकाभ्यो नम: ।’

विशेष-
१- मातृकाओंका यज्ञोपवीत न चढाये ।
२-नैवेद्यके साथ-साथ घृत और गुडका भी नैवेद्य लगाये ।
३-विशेष अर्घ्य न दे ।

फलका अर्पण-नारियल आदि फल अञ्जलिमें लेकर प्रार्थना करे -
ॐ आयुरारोग्यमैश्वर्यं ददध्वं मातरो मम ।
निर्विघ्नं सर्वकार्येषु कुरुर्ध्व सगणाधिपा: ॥
- इस तरह प्रार्थना करनेके बाद नारियल आदि फल चढाकर हाथ जोडकर बोले-‘गेहे वृद्धिशतानि भवन्तु, उत्तरे कर्मण्यविघ्नमतु ।’
इसके बाद
‘अनया पूजया गणेशसहितगौर्यादिषोडशमातर: प्रीयन्ताम्‍, न मम ।’
इस वाक्यका उच्चारण कर मण्डलपर अक्षत छोडकर नमस्कार करे -
गौरी पद्मा शची मेधा सावित्री विजया जया ।
देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोकमातर: ।
धृति: पुष्टिस्तथा तुष्टिरात्मन: कुलदेवता ।
गणेशेनाधिका ह्येता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश ॥

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Last Updated : December 03, 2018

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