संध्याका संकल्प

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


संध्याका संकल्प-
इसके बाद हाथमें कुश और जल लेकर संध्याका संकल्प पढकर जल गिरा दे-
’ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य... उपात्तदुरितक्षयपूर्वकश्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थ संध्योपासनं करिष्ये।
आचमन-
इसके लिये निन्मलिखित विनियोग पढे-
ॐ ऋतं चेति माधुच्छन्दसोऽघमर्षण ऋषिरनुष्टुप् छन्दो भाववृत्तं दैवतमपामुपस्पर्शने विनियोग: ।
 
फिर नीचे लिखा मन्त्र पढकर आचमन करे-
ॐ ऋतं च सत्यं चाभीद्धात्तपसोऽध्यजायत। ततो रात्र्यजायत। तत: समुद्रो अर्णव:। समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत। अहोरात्राणि विद्‍धव्दिश्वस्य मिषतो वशी। सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्वमकल्पयत्।
दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व:।

तदनन्तर दायें हाथमें जल लेकर बाये हाथसे ढककर ’ॐ’ के साथ तीन बार गायत्रीमन्त्र पढकर अपनी रक्षाके लिये अपने चारों ओर जलकी धारा दे। फ़िर प्राणायाम करे।

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Last Updated : November 26, 2018

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