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पदे १ ते १०

हिंदी पदें - पदे १ ते १०

मध्वमुनीश्वरांची कविता


पद १ ले
मेरा साहेबसू दिल लागा ॥ध्रु०॥
पीर फकीरोंकी बंदगी सच है । झूट कुफर सब भागा ॥१॥
ताल पखावज शोर अबस है क्या करू छेतीस रागा ॥२॥
साईका नाम नहीं घटमे भटके । झटमे सोहि कागा ॥३॥
सब घट पूरन येकहि रब है । जौ तसबीबीच तागा ॥४॥
अपने महलबीच गर्क हुवा जो । गैब सुनेमो सुहागा ॥५॥
भेस्तके बागमों तखत निरंजन । जोर हवासीर जागा ॥६॥
नाथ बह्मनका फकीर कहे अब । बखत हमारा जागा ॥७॥

पद २ रें
होरी
ऐसी खेलोरे मत होली । जिसमे कुफरकी बोली ॥ध्रु०॥
फकीर मिलावो रिजक खिलावो । नजिक खुदा है भाई ॥ अकल धरोरे जिकिर करोरे । खावो भेस्तमिठाई ॥१॥
महलमें हरिख्याल पढो मत । इसकी देख मनाई ॥ रंग बिरंगी होकर जावो । दो दिनकी दुनयाई ॥२॥
अपने मुसे फजियत होते । इसमे क्या सुगराई ॥ कहनेहिमें मालुम होती । कम अकलोंकी बढाई ॥३॥
भेस्तके प्यारे वो नर न्यारे । जिनकी जिकिर खुदाई ॥ दो जखमें जो जाय पडेगे । उनकी ऐसी कमाई ॥४॥
ये नरदेही बहुर न आवे । समज रहो चतुराई ॥ नाथमाधो कहत है साधो तुमकू रामदुहाई ॥५॥

पद ३ रें
ऐसा कहुं नही जी परबंदा । छोडे सबही धंदा ॥ध्रु०॥
फितवे सेंती मुलुक गवायां । कुफरमें डुबा अंधा । गुरूके कदमकी बंदगी न कर । चोरकू दुश्मन चंदा ॥१॥
परधनमें हरि दिलमें पैठी । गलबीच डाली कंथा । हातमें तबसी हरहर बोले । ख्याली उलटा पंथा ॥२॥
दुनया लूटी ठगबिद्यासे ऐसा बम्हन कच्या । नाथमाधो कहत है साधो । साई न माने सच्चा ॥३॥

पद ४ थें
क्या तुम देखते हो बाजीगिरीका तमाशा ॥ध्रु०॥
हाती घोडे माल कबीला । कोई न किसका साथी ॥ अमीर वजीरा सबगसब गय । आगे चढती राह हमेशा ॥१॥
कोन करारी चीज है माशुक । जिसपर आशक होना ॥ दम लेनेकु कहुं नहि जागा । झूटा वजुद भरोसा ॥२॥
कहत है माधोनाथ गुसाई । नासिकतिर्मकवाला । जिकिर गुरुकी अलबत करना । जिसमें दिलका खुलासा ॥३॥

पद ५ वें
अब कर दिल दिवाने पाक ॥ध्रु०॥
झूटी माया झूटी काया । आखर सारी खाक ॥१॥
काहेकू बंदे महल बनाया । खर्च हजारों लाख ॥२॥
हरदम तूंही तूंही कहना । जंगल तेरे ल्याख ॥३॥
फजर नीकी बंदगी करना । अकलसे होना च्याल ॥४॥
कहत है माधोनाथ गुसाई । अपना पानी राख ॥५॥

पद ६ वें
अब मत सोव दिवाने जाग ॥ध्रु०॥
इस देहिकु देख लगी है । काल कहरकी आग ॥१॥
अपनी कमाई जिकिर खजीना । लेकर भाई भाग ॥२॥
कहत माधोनाथ गुदाई । देख हवासीर बाग ॥३॥

पद ७ वें
अब चल भाई हमारे साथ ॥ध्रु०॥
जो कुच होना होयगा । सो परमेसरके हात ॥१॥
अपने महलकु अकलसे जाना । घोर अंधारी रात ॥२॥
इस दुनियासे फारीग होना । ऐसी बडोंके बात ॥३॥
इद पानीमें वैसा वेहरना । जैसा कमलका पात ॥४॥
कहत है माधो तुज मिलाऊं । साहेब सीतानाथ ॥५॥

पद ८ वें
भज मन साहेब मोहनलाल ॥ध्रु०॥
कानन कुंडल मुगुट बिराजे । गलबीच मोहनमाल ॥१॥
मृगमद आछो तिलक लगायो । सौंधे भीने बाल ॥२॥
पीत झगोरी दामिनी चमके । उपर वोढी शाल ॥३॥
कुंज गलनमों बौंसी बजावे । गावे माधव ख्याल ॥४॥

पद ९ वें
बंदे मतकर अपना जान ॥ध्रु०॥
अकलकु पकड तूं नकल है ख्याली । तकलीदी सब जान ॥१॥
क्यौ नही सुनता क्यौ नही गुनव्ता । तेरा दिल सैताना ॥२॥
इस देहीमे पंछी जीयरा । दो दिनका मेजमान ॥३॥
झूटी काया झूटी माया । आखर मौत निदान ॥४॥
कहत है माधोनाथ गुसाई । बैरागी मस्तान ॥५॥

पद १० वें
बंदे नज गरीबनराज (?) ॥ध्रु०॥
मै तों बंदा जिकिरकु अंधा ॥ इस दुनियामे निकाज निकाज ॥१॥
सब माफ बंदेकु गुन्हा जी । ऐसी तुम्हारी आवाज आवाज ॥२॥
सच्चा साहेब पालो तुही । माधो गरीब नवाज नवाज ॥३॥

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Last Updated : May 29, 2017

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