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श्रीअब्जधरस्तव:

श्रीअब्जधरस्तव:

स्वामि श्री भारतीकृष्णतीर्थ यांनी जी देवदेवतांवी स्तुती केली आहे, अशी क्वचितच् इतरांनी कोणी केली असेल.


चरणपङ्कजभक्तजनावली -
निखिलकाड्क्षिततामरपादपम् ।
जननमृत्युभयादिनिकृन्तक -
स्वपदसन्नतिमब्जधरं भजे ॥१॥
अमृतसम्भवडम्बरनाशकृत् -
करविलासिचमूरुकिशोरकम् ।
भुजगभूपतिभूषणभूषित -
स्वगलमद्रिसुताधवमाश्रये ॥२॥
पदसरोजनतव्रतवाञ्छिता -
खिलवितारणसक्तहृदम्बुजम् ।
भसितभूषितविग्रहवेष्टक -
द्विरदकृत्तिमुमापतिमाश्रये ॥३॥
प्रणतसन्ततिकाम्यवरावली -
स्पृशिपरायणचित्तपयोजनि ( सरोरुह ) म् ।
निखिलनिर्जरनम्यनिजाड्घ्रिवा: -
प्रभवयुग्मकमाकलये हरम् ॥४॥
सकलसन्नतरम्यगुणावली -
लसितमानसबुद्धितनूज्ज्वलम् ( कलेवरम् ) ।
जलधिसम्भवघोरविषाशन - ( गराशन ) -
प्रभवनैल्यगलं हरमाश्रये ॥५॥
चरणनम्रम्रुकण्डुजनु:कृते
प्रसभकृत्तकृतान्ततया स्फुटम् ।
स्फुतित ( प्रथित ) दीननतार्त्तिनिवारण -
व्रतकृपाम्बुधितं शिवमाश्रये ॥६॥
बलितनूजदशाननशौनक -
प्रमुखपूजितपादपयोभुव ( रुह ) म् ।
निजकलेवरसंयुतमेनका -
तनुभवातनुसुन्दरमाश्रये ॥७॥
कनकभूमिधरात्मतनूभवा -
तनुभवापरिरब्धकलेवरम् ।
कनकगर्भंललाटसमुद्भव -
स्वसितवर्णशरीरमुपाश्रये ॥८॥
अतिकरालभवाम्बुधिपारद -
स्वचरणाम्बुजयुग्मरज:स्मृतिम् ।
गगनसम्भवभोजननीरद -
वदनवारिभवभ्रमराशयम् ॥९॥
सहजनुर्विनतासुतवाहन -
वदनवारिभवभ्रमराशयम् ।
पदपयोजनतालिकृताघहृन् -
निजकटाक्षकणं हरमाश्रये ॥१०॥
नयनपादकणादनकर्दम -
प्रभवमुख्यनयावलिदायकम् ।
जलधिजन्मकलाकृतमण्डन -
स्वशिरसं गिरिजापतिमाश्रये ॥११॥
निजविनम्रजनाखिलकष्टहृत् -
पदपयोरुहधूलिलवस्मृतिम् ।
चरणपङ्कभवानमदिष्टद -
व्रजकटाक्षमुमाधव ( पति ) माश्रये ॥१२॥
करसरोरुहमध्यलसन्निजा -
जगवशूलमुखायुधभूषण ( सन्तति ) म् ।
धरणिधारक पीनपयोधरो -
ल्लसितवामकलेवरमाश्रये ॥१३॥

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Last Updated : November 11, 2016

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