मराठी मुख्य सूची|मराठी साहित्य|गाणी व कविता|कृष्णाजी नारायण आठल्ये| श्लोक [पृथ्वीवृत्त] कृष्णाजी नारायण आठल्ये प्रस्तावना श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [मालिनी] श्लोक [इंद्रवजा] श्लोक [भुजंगप्रयात] श्लोक [इंद्रवज्रा] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [भुजंगप्रयात] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [शिखरिणी] श्लोक [मंदाक्रांता] श्लोक [पृथ्वीवृत्त] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [स्त्रग्धरा] श्लोक [द्रुतविलंबित] श्लोक [शार्दूलविक्रीडित] श्लोक [पृथ्वीवृत्त] श्लोक [भुजंगप्रयात] श्लोक [स्त्रग्धरा] तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [पृथ्वीवृत्त] हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले. Tags : poemsongकवितागाणीमराठी श्लोक [पृथ्वीवृत्त] Translation - भाषांतर ‘‘अमूल्य गुण हे सखे ! तव पुनः पुनः पुन्हां आठवी ।ह्मणोनि करुनी कृपा त्वरित उत्तरा पाठवी ॥कसोनि कटि सिद्ध मी सतत युद्धउत्क्रांतिला ।परंतु तव पत्र हें सदन एक विश्रांतिला ॥३०॥ N/A References : N/A Last Updated : November 11, 2016 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP