हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्यकर्म-विधि:| सप्तश्लोकी गीता नित्यकर्म-विधि: कर दर्शन प्रात:स्मरण वेदोक्त प्रातःस्मरण सूक्त स्नान की विधि सन्ध्योपासन विधि: तर्पण विधि: सूर्योपस्थान समर्पण नित्य होम विधि: बलिवैश्वदेव विधि: ब्रह्मयज्ञ विधि: संक्षिप्त भोजन विधि: शिवपूजनविधि: विष्णु पूजन विधि: राम पूजनविधि: हनुमत्पूजनविधि: दुर्गापूजनविधि: श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् शिवमहिम्न: स्तोत्रम् आदित्यहृदयस्तोत्रम् रामरक्षास्तोत्रम् महामृत्युञ्जयस्तोत्रम् अन्नपूर्णास्तोत्रम् चाक्षुषोपनिषद् सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तश्लोकी गीता चतु:श्लोकीभागवतम् विधीः - सप्तश्लोकी गीता जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है । Tags : karmapoojavidhiकर्मपूजाविधीहिन्दी सप्तश्लोकी गीता Translation - भाषांतर अथ सप्तश्लोकी गीताओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन् मामनुस्मरन् ।य: प्रयाति त्यजन् देहं स याति परमां गतिम् ॥१॥स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या जगत्प्रहृष्यत्यनुरज्यते च ।रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसंघा: ॥सर्वत: पाणिपादं तत् सर्वतोऽक्षिशिरोमुखम् ।सर्वत: श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति ॥३॥कवि पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेद्य: ।सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं तमस: परस्तात् ॥४॥ऊर्ध्वमूलमध: शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् ।छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ॥५॥सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मत्त: स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च ।वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यो वेदान्तकृद्वेदविदेव चाहम् ॥६॥मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।मामेवैष्यसि युक्त्यैवमात्मानं मत्परायण: ॥७॥श्रीमद्भगवदीतायां सप्तश्लोकी गीता समाप्ता । N/A References : N/A Last Updated : May 24, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP